आधार नंबर, नाम, पता, बैंक अकाउंट और दूसरी संवेदनशील जानकारियां लीक: CIS रिपोर्ट
This was published by Aaj Tak on May 4, 2017.
ताजा रिसर्च के मुताबिक सरकार के डेटाबेस से लगभग 135 मिलियन आधान नंबर ऑनलाइन लीक हुए हो सकते हैं. इस रिसर्च दी सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी (CIS) ने कराया है. इस एजेंसी ने इस रिसर्च को इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी प्रैक्टिस ऑफर आधार के नाम से प्रकाशित किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी पोर्टल्स ने लगभग 135 मिलियन भारतीय नागरिकों के आधार नंबर ऑनलाइन को पब्लिक कर दिया. यानी कोई भी इसे ऐक्सेस कर सके. जाहिर है ऐसे में आधार नंबर के गलत यूज का भी खतरा होता है.
चार सरकारी वेबसाइट जिनमें मनरेगा, सोशल ऐसिस्टेंस प्रोग्राम, डेली ऑनलाइन पेमेंट रिपोर्ट और चंद्रण बीमा स्कीम वेबसाइट शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन वेबसाइट्स पर यूजर्स के आधार नंबर और फिनांशियल जानकारी जैसे बैंक अकाउंट डीटेल को पब्लिक कर दिया जिसे कोई भी ऐक्सेस कर सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल सोशल ऐसिस्टेंस प्रोग्राम की वेबसाइट पर पेंशन धारकों के जॉब कार्ड नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, आधार कार्ड नंबर और अकाउंट की स्थिति जैसी संवेदनशील जानकारियां उपलब्ध होती हैं. लेकिन कमजोर सिक्योरिटी की वजह से यह दुनिया के किसी भी इंसान के लिए उपलब्ध हो गई. सिर्फ कुछ क्लिक से ही तमाम संवेदनशील जानकारियां हासिल की जा सकती हैं.
हाल ही में झारखंड सरकार की एक वेबसाइट पर लाखों आधार कार्ड होल्डर्स की जानकारियां लीक हो गईं. इसके अलावा कई राज्यों की सरकारी वेबसाइट पर स्कॉलरशिप पाने वाले स्टूडेंट्स के आधार कार्ड डीटेल्स लीक हो गए. गूगल सर्च के जरिए सिर्फ कुछ कीवर्ड्स यूज करके डीटेल्स कोई भी ढूंढ कर गलत यूज कर सकता है.
इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है आधार नंबर, जाती, धर्म, पता, फोटोग्राफ्स और यूजर की आर्थिक जानकारी इस तरह पब्लिक होना इस बात को दर्शाता है कि इसे कितने लचर तरीके से लागू किया गया है.
हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट से ऐसे डेटा ऐक्सेल शीट आसानी से गूगल के जरिए डाउनलोड की जा सकती थी. आप इसे चूक करें या लापरवाही, लेकिन इतने नागरिकों का घर तक का पता किसी के पास भी हो सकता है.
क्या आधार नंबर को पब्लिक करना सही है?
आधार ऐक्ट 2016 के मुताबिक किसी नागरिक का आधार डेटा पब्लिश नहीं किया जा सकता. यानी मंत्रालय की वेबसाइट इन डेटा को सिक्योर रखने में नाकामयाब हो रही हैं.
आधार ऐक्ट 2016 के तहत कलेक्ट किया गया कोई भी आधार नंबर या कोर बायोमैट्रिक इनफॉर्मेशन पब्लिक नहीं किया जा सकता और न ही इसे किसी पब्लिक प्लैटफॉर्म पर पोस्ट किया जा सकता है. हालांकि इसके इस्तेमाल कानून के तहत शामिल की गईं एजेंसियां और संस्थाएं कर सकती हैं.
दी वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक महीने पहले डेटा रिसर्चर श्रीनीवास कोडाली ने थर्ड पार्टी वेबसाइट के द्वारा गलती लीक किए गए 5-6 लाख लोगों के पर्सनल डेटा के बारे में बताया था. इस डेटा में आधार नंबर, नाम, कास्ट, जेंडर और फोटोज शामिल थे.
सरकार के हमेशा दावा करती है कि आधार सिक्योर है
सरकार लगातार दावा करती है कि आधार सिक्योर है सेफ है और डेटा लीक नहीं हो रहे हैं. लेकिन ये घटनाएं लागातार उन दावों को खोखला साबित कर रही हैं. सवाल यह है कि अब इस रिपोर्ट के बाद सरकार कोई कठोर कदम उठाती है या फिर पहले की तरह लचर सुरक्षा बनी रहेगी.